बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस (फाइल)
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बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से हिंदुओं समेत अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है। दो हिंदू समूहों ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को पत्र लिखा और बताया है कि अल्पसंख्यकों को 52 जिलों में कम से कम 25 हमलों का सामना करना पड़ा है। साथ ही सुरक्षा की मांग की है।
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद और बांग्लादेश पूजा उद्जापन परिषद ने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित 84 वर्षीय मोहम्मद यूनुस को लिखे खुला पत्र में अल्पसंख्यकों पर हमलों के आंकड़े पेश किए और सुरक्षा की मांग की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एकता परिषद के तीन अध्यक्षों में से एक निर्मल रोसारियों ने कहा कि हम सुरक्षा चाहते हैं क्योंकि हमारा जीवन बहुत खराब स्थिति में है। हम रात में जागकर अपने घरों और मंदिरों की रखवाली कर रहे हैं। मैंने अपने जीवन में ऐसा कभी नहीं देखा। हम मांग करते हैं कि सरकार देश में सांप्रदायिक सद्भाव बहाल करे। रोसारियों ने कहा कि स्थिति और बिगड़ रही है। उन्होंने यूनुस से आग्रह किया कि वे इस संकट को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर हल करें और हिंसा समाप्त करें।
पत्र पर बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता और बांग्लादेश पूजा उद्जापन परिषद के अध्यक्ष बासुदेव धर के हस्ताक्षर हैं। पत्र में यूनुस का स्वागत एक नए युग के नेता के रूप में किया गया, जो छात्रों और जनता के आंदोलन से पैदा हुआ है और जिसका उद्देश्य समतामूलक समाज और सुधार की स्थापना करना है। दोनों संगठनों ने पत्र में कहा है, जब लोगों की जीत अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही है, हम दुःखी और भारी मन से देख रहे हैं कि एक स्वार्थी वर्ग अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ क्रूरतापूर्ण हिंसा करके इस उपलब्धि को धूमिल करने की साजिश रच रहा है।
अल्पसंख्यकों में डर और चिंता
पत्र में कहा गया है कि सांप्रदायिक हिंसा के चलते बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों में व्यापक भय, चिंता और अनिश्चितता पैदा कर दी है और इसके परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी निंदा हुई है। पत्र का हवाला देते हुए मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों संगठनों ने तत्काल इस स्थिति को खत्म करने की मांग की है। एकता परिषद की प्रेसीडियम सदस्य काजल देवनाथ ने कहा, अल्पसंख्यकों पर हमला करने वालों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। अगर किसी अल्पसंख्यक व्यक्ति पर राजनीतिक कारणों से हमला किया जाता है, तो भी यह अस्वीकार्य है। जो कोई भी अपराध करता है, उसे सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय के लोगों को दूसरे के घरों में शरण लेनी पड़ रही है। उन्हें खुद अपने एक मित्र के घर में छिपने के लिए मजबूर होना पड़ा।
कई हिंदू मंदिरों को बनाया गया निशाना
हिंदू समुदाय के नेताओं के मुताबिक, 5 अगस्त को हसीना सरकार के गिरने के बाद से कई हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया है। अल्पसंख्यकों, खासतौर पर हिंदुओं के घरों पर हमले किए गए हैं और तोड़फोड़ की गई है। महिलाओं पर भी हमले किए गए हैं। हसीना की पार्टी आवामी लीग से जुड़े दो हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई है।
अमेरिकी सांसदों ने हस्तक्षेप की मांग की
भारतीय मूल के दो अमेरिकी सांसदों राजा कृष्णमूर्ति और श्री थानेदार ने बांग्लादेश में साजिश के तहत हिंदुओं पर हो रहे हमले को रोकने के लिए अमेरिका से हस्तक्षेप करने की मांग की है। मिशिगन से सांसद थानेदार ने 9 अगस्त को विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को लिखे पत्र में कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ वह अकेले नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कई लोगों ने, जिनमें उनके अपने जिले के कुछ लोग भी शामिल हैं, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समूहों के विरुद्ध की जा रही हिंसक कार्रवाइयों की निंदा की है। वहीं, कृष्णमूर्ति ने अपने पत्र में हिंदुओं पर हमले का हवाला देते हुए कहा है कि अब जब मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ ली है, तो यह अत्यंत आवश्यक है कि संयुक्त राज्य अमेरिका उनकी सरकार के साथ मिलकर हिंसा को समाप्त करने और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए बातचीत करे।