अनुराग कश्यप की गिनती हिंदी सिनेमा के प्रतिभाशाली निर्देशकों में होती है। हाल ही में एक बातचीत के दौरान उन्होंने हिंदी और दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के बीच के अंतर पर अपनी राय रखी। इस दौरान उन्होंने मलयालम सुपरस्टार ममूटी की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने अभिनेता के साहसी रचनात्मक फैसलों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह अपने बॉलीवुड समकक्षों से अलग हैं और जिस इंडस्ट्री का वह प्रतिनिधित्व करते हैं वह भी काफी अलग है।
बातचीत के दौरान अनुराग ने तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री की ओर से टिकट की कीमतों पर लगाई गई सीमा और केरल के सिनेमाघरों द्वारा छोटी फिल्मों को दी जाने वाली जगह पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि कुछ संस्कृतियां सिनेमा को लेकर ज्यादा साक्षर हैं। हिंदी पट्टी में हर बड़े प्रोजेक्ट में कहानी से ज्यादा सितारों को तवज्जो दी जाती है।
उन्होंने कहा, “एक छोटी फिल्म के पास बड़ी फिल्म से प्रतिस्पर्धा करने के लिए मार्केटिंग बजट नहीं होता है। यही वजह है कि इस तरह की फिल्में नहीं चल पातीं, लेकिन दक्षिण में चीजें ऐसी नहीं हैं। वहां समानता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह किसी नए कलाकार की फिल्म है या मोहनलाल की। उन्हें समान जगह मिलती है। हिंदी इंडस्ट्री में हमारे पास ऐसा नहीं है।”
ममूटी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, “मैं सुपरस्टारडम की अवधारणा पर विश्वास नहीं करता हूं। मेरा मानना है कि एक अभिनेता के तौर पर ममूटी अपने करियर के इस पड़ाव पर कई जोखिम उठा रहे हैं। एक तरफ उन्होंने ब्रमायुगम में शैतान का किरदार निभाया। फिर उन्होंने कथल: द कोर में काम किया। वह लगातार जोखिम उठाते हैं। उन्हें फिल्मकारों पर भरोसा है। इसी भरोसे पर वह आगे बढ़ते हैं। हालांकि, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा नहीं होता है। अगर आप किसी स्टार से संपर्क करते हैं तो वह पहले यह जानना चाहते हैं कि फिल्म के हिट होगी या नहीं । वह इसकी गारंटी चाहते हैं।”