Amar Ujala Samvad Paralympic Medalist Dr. Deepa Malik Says No Better Medium Than Sports To Change Perception – Amar Ujala Hindi News Live

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Amar Ujala Samvad Paralympic medalist Dr. Deepa Malik says no better medium than sports to change perception

Amar Ujala Samvad
– फोटो : अमर उजाला

अमर उजाला संवाद में पैरालंपिक पदक विजेता डॉ. दीपा मलिक ने अपने अनुभवों से जोश भरा। कहा, दिव्यांग होने के बाद जिद थी, देश के लिए कुछ करना है। उससे भी ज्यादा जिम्मेदारी थी दिव्यांगता के प्रति लोगों की मानसिकता को बदलना।

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कहा, लोगों की धारणा को बदलने के लिए खेलों से बड़ा कोई माध्यम नहीं है। डॉ. दीपा ने बताया, दिव्यांग होने के बाद 36 साल की उम्र में उन्होंने खेलना शुरू किया। हालांकि, खेल के लिए अपने शरीर को तैयार करने के लिए लंबा वक्त लगा और 12 सालों की तपस्या के बाद देश के लिए पहला मेडल जीता। 

कहा, 20 साल तक बीमारी से गुजरने के बाद भी लोगों की मानसिकता नहीं बदल सकी। लेकिन, जब देश के लिए मेडल जीता तो कल तक जिस शरीर को लोग दिव्यांग बता रहे थे, आज वहीं मुझे देख गौरवान्वित होते हैं। 

जिंदगी का पहला गोल्ड मेडल था एक पैसा : मुरलीकांत पेटकर

देश को साल 1972 में 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी में पहला पैरालंपिक स्वर्ण पदक दिलाने वाले पद्मश्री मुरलीकांत पेटकर ने कहा, जिंदगी का पहला गोल्ड मेडल वह था, जब उन्होंने अपने गांव में कुश्ती मुकाबले में एक पैसे का सिक्का जीता था। 



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