अमर उजाला महाकुंभ कॉन्क्लेव में मंत्री सुबोध उनियाल
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कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा, प्रयागराज में पढ़ाई के दौरान वर्ष 1983 में अर्द्धकुंंभ में जाने का अवसर मिला। पहले यह एक मेले की तरह होता था, अब कुंभ का भारतीय संस्कृति के वाहक के रूप में वैश्वीकरण हुआ है। इसे यूनेस्को ने वैश्विक धरोहर कहा है।
यह बात उन्होंने अमर उजाला महाकुंभ कॉन्क्लेव 2025 के तृतीय सत्र के विषय हरित भविष्य विषय की ओर पर कही। कहा, इस बार कुंभ 4000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में हो रहा है, जो वर्ष 2013 की तुलना में पांच गुना अधिक है। दुनिया को भारतीय संस्कृति परंपरा, विशेषताओं को जानने का कुंभ माध्यम बना है।
कुंभ से कई राज्यों की भाषा, संस्कृति और लोगों को जानने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि ग्लेशियर पीछे खिसक रहे हैं। पहले ऋषिकेश में गंगा में जलस्तर बढ़ने पर 15 जून के बाद राफ्टिंग बंद हो जाती थी, लेकिन इस बार राफ्टिंग 30 जून तक हुई है, यह खतरनाक संकेत है। गंगा को बचाने की जरूरत है। सबके सामने समस्या गंगा के अस्तित्व को बचाने की है। हरिद्वार के बाद गंगा मैली होने की बात कही जाने लगती है।
कमला बहुगुणा लगाती थीं शिविर
वन मंत्री ने कहा, वह अध्ययन के दौरान कुंभ गए थे, तो उत्सुकता का भाव ज्यादा था। कुंभ में कई स्वयंसेवी संगठन लोगों की सेवा करने के लिए आते हैं। 1954 से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की पत्नी कमला बहुगुणा यहां कैंप लगाती थीं, जिसमें वृद्ध महिला, घायल महिलाओं और बच्चों को आश्रय दिया जाता था। इस शिविर में भी जाने का उन्हें अवसर मिला।