सितंबर में उसके खाते में केवल चालीस रुपये बचे थे। उसने ऑनलाइन एप से उसे भी खर्च कर लिया। बैंक ने पांच रुपये ब्याज दिया जो किसी लोन में कट गया। ऐसे में उसे दुबला-पतला मनीष आसान लक्ष्य नजर आया। उनको उम्मीद थी कि मामला ठंडा पड़ते ही घरवालों से चार-पांच लाख रुपये मांगेंगे। दो से तीन लाख आसानी से मिल जाएंगे। इस बीच वे पकड़ लिए गए।
अभी हरकत की तो फंस जाओगे
एसएसपी ने ओमवीर व नन्हे की दो कॉल रिकॉर्डिंग सुनवाईं। हत्या के कुछ दिन बाद हुई ये बातचीत पुलिस ने टेप कर ली थी। ओमवीर ने मनीष का मोबाइल फोन फेंकने के बाद सिम रख लिया था। इसी नंबर से कॉल कर चलती हुई ट्रेन में फिरौती लेने की योजना थी। पांच दिसंबर को यह सिम एक मोबाइल फोन में डालकर देखा गया तो इनकमिंग व आउटगोइंग सब बंद थीं। तब ओमवीर इसे रिचार्ज कराने को उतावला हो गया था। मामा नन्हे झाड़फूंक करता था और खुद पर किसी जिन्न का साया बताते हुए खतरे का जिक्र किया था।
मामा नन्हे-भांजे ओमवीर के बीच यूं हुई बातचीत
ओमवीर- हां मामा बात हुई कुछ उसमें या नहीं
नन्हे- उसमें, उस टाइम मना कर दी थी। इस टाइम कुछ नहीं बताएंगे, शाम को बताएंगे।
ओमवीर-अच्छा
नन्हे-दोपहर को कोई नहीं मिलेगा
ओमवीर-अच्छा
नन्हे-हां
ओमवीर-तो रिचार्ज करवाना बेकार है।
नन्हे-रिचार्ज मत करवाओ मर जाओगे
ओमवीर-अच्छा
नन्हे-अभी बचे हुए तब भी हो।
ओमवीर-ये बात तुम्हारी मानेंगे खैर
नन्हे-गाली देते हुए पैसा आए-जाए देख लेंगे, सेफ तो बचे हैं।
ओमवीर-हां
नन्हे-देखेंगे, ऐसा मत करना पैसा मत डलवा देना, मोबाइल में
ओमवीर-इसी मारे तुमसे पूछ ली है। ऐसे क्यूं कुछ करेंगेन
न्हे -हां मेरे लाल दिमाग से काम लेना कहीं हिलग गए तो कोई बचाने वाला नहीं होगा।
ओमवीर-न कोई नहीं बचाएगा
नन्हे-इसके बाद आगे कुछ और देखना है। थोड़ी तसल्ली करो।
ओमवीर-अच्छा ये बात मानेंगे।
नन्हे-वो बच जाएंगे, तुम पर धर जाएगा सारा खेल
ओमवीर-अभी तो वे चार फंसे ही हुए हैं