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बाल विवाह (सांकेतिक तस्वीर) – फोटो : ANI
विस्तार
झारखंड में बिरहोर जनजाति के लोग गिरिडीह में बाल विवाह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने बाल विवाह को समाप्त करने की कसम भी खाई। बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम करने वाले एक संगठन ने इसकी जानकारी दी। बिरहोर के लोग जंगल पर निर्भर है। ये खानाबदोश आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। इस समुदाय के लोग आर्थिक और सामाजिक तौर पर काफी पीछे हैं।
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बिरहोर जनजाति के लोगों का बाल विवाह के विरोध आंदोलन
बच्चों के अधिकार संरक्षण निकाय जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस (जेआरसी) ने कहा, “झारखंड के गिरिडीह में कुछ अलग हो रहा है। पहली बार, बिरहोर समुदाय के सैकड़ों लोग किसी सामाजिक उद्देश्य के लिए एक आंदोलन में शामिल हुए। शाम के समय इस समुदाय के लोग बाल विवाह के खिलाफ एकजुट हुए।” संगठन ने आगे कहा, “यह पहली बार ऐसा हुआ कि समुदाय के लोगों को बाल विवाह के परिणामों और कानूनों से अवगत कराया गया था। जलती मोमबत्ती की रोशनी के नीचे खड़े होकर युवा, बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों ने बाल विवाह को खत्म करने की कसम खाई।”
लोगों ने बाल विवाह के खिलाफ लिया संकल्प
बाल विवाह मुक्त भारत के समर्थन में बनवासी विकास आश्रम की तरफ से कैंडल मार्च का आयोजन किया गया था। बता दें कि यह अभियान केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से बाल विवाह के खिलाफ चलाया गया था। बिरहोर जनजाति के लोगों ने कानूनी उम्र से पहले बच्चों की शादी नहीं करने और बाल विवाह के मामलों की रिपोर्ट करने का संकल्प लिया।
नागरिक समाज संगठन ने दावा किया कि झारखंड के 416 जिलों में अप्रैल और दिसंबर 2024 के बीच सात हजार से अधिक बाल विवाह रोके गए हैं। झारखंड के सभी 24 जिलों के ब्लॉक, गांवों और स्कूलों में सरकारी अभियान के समर्थन में कार्यक्रम आयोजित किए गए। जामताड़ा, देवघर, गोड्डा, गिरिडीह, कोडरमा और दुमका में बाल विवाह की खबरें अधिक हैं।