मद्महेश्वर मंदिर
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पंच केदार में द्वितीय भगवान मद्महेश्वर के मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बुधवार को शुभ मुहूर्त पर सुबह 8 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए जाएंगे। भगवान द्वितीय केदार की चल उत्सव विग्रह डोली अपने मूल मंदिर से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए पहले पड़ाव पर गौंडार गांव पहुंचेगी। 23 नवंबर को द्वितीय केदार शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे।
इस वर्ष 20 मई से शुरू हुई द्वितीय केदार मद्महेश्वर की यात्रा में अभी तक 17 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। जुलाई माह में अतिवृष्टि से गौंडार गांव के समीप मुरकुंडा नदी (सरस्वती) पर पुलिया के ध्वस्त होने से कई दिनों तक यात्रा प्रभावित रही। लोनिवि द्वारा ग्रामीणों के सहयोग से लकड़ी की अस्थायी पुलिया बनाने के बाद यात्रा पुन: शुरू हुई।
बुधवार को सुबह 4 बजे से मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। विशेष पूजा-अर्चना के साथ भगवान के स्वयंभू लिंग को पुष्प-अक्षत और भस्म से समाधि रूप दिया जाएगा। इसके बाद भगवान मद्महेश्वर की भोग मूर्तियों को गर्भगृह से बाहर लाकर चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान किया जाएगा।
बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश चंद्र गौड़ ने बताया कि सुबह 8 बजे द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए विधि-विधान के साथ बंद कर दिए जाएंगे। इस मौके पर द्वितीय केदार मंदिर की परिक्रमा और अपने ताम्र पात्रों का निरीक्षण करते हुए अपने मूल मंदिर से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेंगे। देवदर्शनी, कुन्नू, कटरा, बणतोली होते हुए डोली रात्रि प्रवास के लिए पहले पड़ाव गौंडार गांव पहुंचेगी। 21 को डोली रांसी व 22 को गिरिया गांव में विश्राम करेगी। 23 को द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी। इधर, डोली आगमन को लेकर मंदिर को फूल-मालाओं से सजाया जाएगा। साथ ही ऊखीमठ में 22 नवंबर से तीन दिवसीय मद्महेश्वर मेला भी रंगारंग कार्यक्रमों के साथ शुरू होगा।