झांसी मेडिकल कॉलेज की एसएनसीयू में शुक्रवार शाम 5 बजे भी शॉर्ट सर्किट हुआ लेकिन लापरवाही में नजरअंदाज कर दिया। इसका यह परिणाम हुआ कि रात करीब 10 बजे आग की चपेट में आने से 10 नवजात की मौत हो गई। ललितपुर का जखौरा निवासी कृपाल सिंह ने बताया कि उनका नाती एसएनसीयू में भर्ती था। शाम करीब 5 बजे एसएनसीयू में शॉर्ट सर्किट हुआ। जिसकी जानकारी ड्यूटी पर तैनात नर्सिंग स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों को दी थी। अफसोस की बात है कि किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। रात करीब 10 बजे फिर से शॉर्ट सर्किट हुआ और तेजी से आग लग गई।
‘अंकल आग लग गई है, बच्चों को बाहर निकालो’
इससे ड्यूटी पर तैनात एक नर्स हल्की झुलस गई। उसने आवाज लगाते हुए कहा ‘अंकल आग लग गई है, बच्चों को बाहर निकालो’। उसकी बात सुनकर वह भी बच्चों को बाहर निकालने में लग गए। आग में झुलसने से मरी दो नवजात बेटियों के पिता याकूब ने बताया कि शाम 5 बजे शॉर्ट सर्किट हुआ था मगर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। मारकुआं निवासी किशोरी नामक महिला ने बताया कि शाम 5 बजे हल्की आग लगी थी, मगर किसी ने भी समस्या का निदान नहीं कराया।
झांसी मेडिकल कॉलेज में मासूमों की मौत
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा वार्ड (एसएनसीयू) में शुक्रवार रात लगी आग से झुलसे सभी दस नवजातों की पहचान हो गई है। इनमें झांसी के चार, ललितपुर के तीन, हमीरपुर के दो और जालौन का एक मासूम है। छह बच्चे अब भी लापता हैं। मेडिकल कॉलेज में 16 बच्चों का इलाज चल रहा है। इनमें चार गंभीर हैं। मेडिकल कॉलेज से एक बच्चे को छुट्टी दे दी गई। इनके अलावा झांसी के ही अन्य अस्पतालों में 22 बच्चे भर्ती हैं। इनमें आठ बच्चे गंभीर हैं। एसएनसीयू में कुल 55 बच्चे भर्ती थे। यहां शुक्रवार रात करीब पौने ग्यारह बजे शार्ट सर्किट से ऑक्सीजन कंसनट्रेटर में आग लग गई। इसके बाद अफरातफरी मच गई। वहीं, शनिवार सुबह पहुंचे उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने आग पीड़ितों की मदद के निर्देश दिए।
डिप्टी सीएम ने त्रिस्तरीय जांच के दिए निर्देश
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अग्निकांड के त्रिस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। शनिवार सुबह पहुंचे उप मुख्यमंत्री ने बताया कि तीन टीमें मामले की जांच करेंगी। इन टीमों में शासन स्तर से स्वास्थ्य विभाग की टीम, पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम और तीसरी मजिस्ट्रेट जांच होगी। तीनों जांच का मुख्य बिंदु आग लगने की वजह का पता लगाना है। लापरवाही मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।