आईएमएफ और शहबाज शरीफ
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को दिए सात अरब डॉलर के ऋण पैकेज के लागू होने में कुछ बड़ी समस्याओं को चिह्नित किया है। आईएमएफ ने पाकिस्तान के कर राजस्व में कमी और विदेशी कर्ज के मिलने में हो रही देरी को लेकर चिंता जताई।
आईएमएफ ने कहा कि पाकिस्तान के कर विभाग (एफबीआर) की ओर से काम ठीक से नहीं हो रहा है और साथ ही पाकिस्तान को विदेशी कर्ज पाने में देरी हो रही है। संयुक्त राष्ट्र की वित्तीय एजेंसी ने कहा कि पाकिस्तान सऊदी अरब से तेल पर विलंबित भुगतान (डिफर्ड पेमेंट) पर बातचीत करे और चीन से कर्ज की समय सीमा फिर से तय करने का अनुरोध करे।
पंजाब में कृषि आयकर कानून भी समस्या
आईएमएफ ने पंजाब सरका के नए कृषि आयकर कानून पर भी चिंता जताई, क्योंकि यह कानून आईएमएफ समझौते के अनुरूप नहीं है। पंजाब सरकार ने कृषि आयकर की दरें बढ़ाने की योजना बनाई थी। लेकिन यह लक्ष्य पूरा नहीं कर पाई। आईएमएफ ने पंजाब और सिंध सरकार से कहा कि वह इसे ठीक करे।
उर्जा क्षेत्र की चुनौतियां
आईएमएफ ने पाकिस्तान के उर्जा क्षेत्र यानी बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण में हो रही देरी को लेकर भी चिंता जताई। इसके अलावा, आईएमएफ ने गैस और उर्जा क्षेत्र में होने वाले कर्ज (सर्कुलर डेब्ट) की रिपोर्टिंग को नियमित रूप से करने को कहा है। आईएमएफ ने पाकिस्तान से कहा कि वह अपनी अर्थव्यवस्था में सरकारी दखल को कम करे और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे। आईएमएफ का मानना है कि इससे पाकिस्तान को ज्यादा निजी निवेश मिलेगा और उसकी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
आईएमएफ ने पाकिस्तान से क्या उम्मीद की है
आईएमएफ ने पाकिस्तान से कहा कि वह अपनी आर्थिक नीतियों में सुधार करे, कर प्रणाली को मजबूत करे और साथ ही ज्यादा सामाजिक जिम्मेदारियां प्रांतों को दे। इसके साथ ही आईएमएफ ने सलाह दी कि पाकिस्तान ज्यादा विदेशी व्यापार समझौते करे, खासकर भारत और अमेरिका के साथ।
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