हेमंत सोरेन
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झारखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई ‘मैय्या सम्मान योजना’ को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति दीपक रौशन की बेंच ने विष्णु साहू द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। जहां साहू ने यह आरोप लगाया था कि 21 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं को 12,000 रुपये सालाना देने वाली यह योजना चुनावी फायदे के लिए शुरू की गई है।
बता दें कि झारखंड में 81 विधानसभा सीटों पर हो रहे चुनाव का पहला चरण बुधवार को खत्म हुआ। दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को होना है वहीं 23 नवंबर को सभी सीटों की मतगणना होनी है।
नीतिगत फैसलों में हस्तक्षेप नहीं- कोर्ट
विष्णु साहू द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राव ने याचिका खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति राव ने याचिका खारिज करते हुए तर्क दिया कि अदालत राज्य सरकार के नीतिगत फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी, क्योंकि इस योजना का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को वित्तीय मदद देना है।
विष्णू साहू का आरोप
वहीं इस मामले में साहू ने अपनी याचिका को विस्तार में देखें तो उन्होंने आरोप लगाया था कि यह योजना चुनाव से पहले वोटरों को आकर्षित करने के लिए एक राजनीतिक हथकंडा है। उन्होंने कहा कि यह योजना सत्तारूढ़ दल को चुनावी फायदे दिलाने के लिए बनाई गई है।
हेमंत सोरेन ने दी अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अदालत के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कानूनी प्रक्रिया पर भरोसा जताया। इसके साथ ही झामुमो नेता कल्पना सोरेन ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह झारखंड की महिलाओं की बड़ी जीत है और योजना के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करना एक जोरदार जवाब है। उन्होंने कहा दिसंबर से महिलाओं के खातों में 2,500 रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे।