भारत और नेपाल
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
नेपाल ने 100 रुपये मूल्य वाले नोटों की छपाई का काम चीन की कंपनी चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन को सौंपा है। यह कंपनी नोटों की 30 करोड़ प्रतियां छापेगी। इस नोट में बने नक्शे में भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्र को नेपाल का हिस्सा दर्शाया गया है। नेपाल सरकार ने मई में कैबिनेट बैठक में नोटों के डिजाइन को मंजूरी दी थी।
नेपाल ने 20 मई, 2020 को संविधान संशोधन के जरिये लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना हिस्सा बताते हुए नया नक्शा जारी कर विवाद खड़ा किया था। नेपाल पांच भारतीय राज्यों सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी व उत्तराखंड के साथ 1,850 किमी लंबी सीमा साझा करता है। इन तीन विवादित क्षेत्रों में लगभग 370 वर्ग किमी की सीमा लगती है।
इन क्षेत्रों के लोग भारत के करदाता, मतदाता
पश्चिमी तिब्बत के नगारी क्षेत्र के पास स्थित लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्रों पर पिछले 60 वर्षों से पूरी तरह भारत का नियंत्रण है। यहां रहने वाले लोग भारतीय नागरिक हैं, भारत में कर चुकाते हैं और मतदान भी करते हैं।
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं तीनों क्षेत्र
कालापानी क्षेत्र दक्षिण एशियाई कूटनीति में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह भारत, तिब्बत और नेपाल के बीच त्रिकोणीय जंक्शन पर है। वहीं, लिपुलेख दर्रा उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है। लिंपियाधुरा दर्रा क्षेत्र पर नेपाल का दावा कालापानी पर उसके दावे से उपजा है। यह तिब्बत की नगारी सीमा के पास भारत से सटा हुआ है। लिंपियाधुरा-कालापानी-लिपुलेख उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा हैं और यह पूरी तरह भारतीय प्रशासन के अधीन है।