Shardiya Navratri Mothers Stay Awake Whole Night To Protect Their Newborns From Rats Lizards In Doon Hospital – Amar Ujala Hindi News Live

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ईश्वर के स्त्री रूप को समर्पित नवरात्र पर्व आज से शुरू हो गए हैं। यह पर्व शक्ति के नौ स्वरूपों की आराधना का है। अमर उजाला अपनी मुहिम के तहत नवरात्र के 9 दिनों में उन संस्थानों एवं विभागों की पड़ताल करेगा जो महिलाओं के सरोकार से जुड़े हैं। इस कड़ी में दून अस्पताल और जिला अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड की पड़ताल की गई। वार्डों का बुरा हाल दिखा। पेश है रिपोर्ट।

कोरोनेशन अस्पताल के जच्चा बच्चा वार्ड में चूहों और कॉकरोच का आतंक है। बुधवार सुबह 11 बजे वार्ड के बाहर के बाहर कई तीमारदार बैठे नजर आए। तीमारदारों ने बताया, अस्पताल में साफ-सफाई नहीं है। सीलन से दुर्गंध आती है। काॅकरोच, मच्छर, चूहे और छिपकली घूमते रहती हैं।

वार्ड में जाने भर से डर लगता है। भर्ती प्रसूताएं दहशत में रहती हैं। पूरी रात चूहे, छिपकलियों और कॉकरोच से अपने शिशुओं की सुरक्षा करती हैं। वहीं, दून अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड का भी बुरा हाल है। वार्ड के अंदर सफाई नहीं है। काॅकरोच और चूहे इधर-उधर घूमते रहते हैं। दीवारों में सीलन के कारण मरीजों को समस्या होती है। शौचालय गंदे हैं। एक शौचालय में दरवाजे तक नहीं है। हाथ धोने की जगह पर व्हील चेयर रखी हुई हैं। इससे मरीजों के साथ तीमारदारों को काफी परेशानी होती है।

 




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कॉकरोच और चूहों से नवजात को कैसे बचाएं

नाम न बताने की शर्त पर अस्पताल पहुंची नवजात की नानी ने बताया कि उनकी बेटी की डिलीवरी हुई है। वार्ड में काॅकरोज, मच्छर और चूहे बहुत हैं। इसकी शिकायत डाॅक्टर और अस्पताल के स्टाफ से की। उन लोगों ने साफ बोला वह कुछ नहीं कर सकते हैं। नवजात की खुद ही सुरक्षा करें और पैरों में मोजे पहनाएं।


पंखों के रेग्युलेटर खराब, स्पीड कम नहीं होने लगती है ठंड

महिला ने बताया कि वह 24 सितंबर को भर्ती हुई थी। उसका बेटा हुआ और तीन दिन हो गए हैं। बच्चे को डाॅक्टर पीलिया बता रहे हैं। महिला ने बताया, यहां पंखे बहुत तेज चलते हैं। रेग्युलेटर खराब हैं। पंखे नहीं चलाने पर मच्छर परेशान करते हैं और चलाने पर स्पीड अधिक होने से ठंड लगती है।


सीलन की दुर्गंध से वार्ड में जाना भी मुश्किल

वार्ड के अंदर बहुत सीलन है। दुर्गंध आती है। सीलन के कारण वार्ड में मरीजों को काफी परेशानी होती है। महिला वार्ड के शाैचालय में गंदा पानी भरा रहता है। शौचालय की गंदगी से वहां जाना आसान नहीं होता। रात में स्टाफ की कमी होती है। जरूरत पड़ने पर स्टाफ नहीं आता है।

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अस्पताल में पर्याप्त संख्या में बेड हैं। मच्छर, कॉकरोच, छिपकली और चूहों से बचाव के लिए हफ्ते में दो से तीन बार पेस्ट कंट्रोल करवाया जाता है। पंखे सुचारू हैं, लेकिन यदि कोई परेशानी है तो उसे ठीक किया जाएगा। अस्पताल में मच्छरदानी पर्याप्त उपलब्ध हैं। जरूरत पड़ने पर नई मच्छरदानी उपलब्ध कराई जाएगीं। – प्रमोद पंवार, जनसंपर्क अधिकारी कोरोनेशन अस्पताल




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