Fine Of 10 Thousand Rupees Should Be Imposed For Leaving The Cattle Unclaimed Or Removing Ear Tagging – Amar Ujala Hindi News Live

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fine of 10 thousand rupees should be imposed for leaving the cattle unclaimed or removing ear tagging

मीटिंग ( फाइल फोटो)
– फोटो : अमर उजाला

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उत्तराखंड गो सेवा आयोग ने गोवंश को लावारिस छोड़ने और उनकी ईयर टैगिंग हटाने पर जुर्माने को दो हजार से बढ़ाकर 10 हजार रुपये करने की सिफारिश की है। आयोग की बैठक में गोवंश संरक्षण अधिनियम की धारा-7 और धारा-8 के तहत यह संशोधन करने का प्रस्ताव पारित हुआ। इसको शासन के पास भेजा जाएगा। बैठक में प्रत्येक गोवंश के जन्म और मृत्यु का पंजीकरण अनिवार्य तौर पर करने का फैसला भी हुआ।

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बैठक में सदस्यों ने जानकारी दी कि डेरी में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए गायों को जो दाना दिया जा रहा है, उससे गोवंश की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है। गायों के बांझ होने पर उसे सड़कों पर छोड़ा जा रहा है, जिस पर कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों की एक संयुक्त टीम शासनस्तर से गठित करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

बैठक में बताया गया कि शहरी विकास विभाग द्वारा विभिन्न नगर निकायों में निराश्रित गोवंश को शरण दिलाने के लिए 30 नई गोशालाओं का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें 28 का कार्य शुरू हो चुका है। बाकी दो स्थानों पर भूमि बह जाने से गोशाला का निर्माण शुरू नहीं हो सका है। वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में 24 नई गोशालाओं के लिए कुल 42 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं, जिनका शीघ्र निर्माण कार्य शुरू होगा। कार्य में तेजी लाने के लिए पंचायतीराज विभाग को निर्देश दिए गए हैं।

बैठक आयोग के अध्यक्ष पं. राजेंद्र अणथ्वाल की अध्यक्षता में हुई। इसमें पशुपालन विभाग के सचिव बीबीआरसी पुरुषोत्तम, अपर सचिव रवनीत चीमा, कृषि विभाग के उप सचिव सुधीर कुमार चौधरी और उप पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह कुटियाल, डॉ. डीसी सेमवाल, पूर्व निदेशक डॉ. प्रेम कुमार, समेत विभिन्न विभागों के प्रमुख अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

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जिम्मेदारियां स्पष्ट की गईं

पशुपालन विभाग के सचिव ने स्पष्ट किया कि निराश्रित गोवंश के लिए गोसदनों का निर्माण और संचालन सुनिश्चित करने का दायित्व शहरी क्षेत्रों में शहरी विकास विभाग और ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतीराज विभाग का है। वहीं, पशुपालन विभाग का दायित्व गोवंश की चिकित्सा, उपचार और अन्य सुविधाएं प्रदान करना है। बैठक में निर्देश दिए गए कि गो संरक्षण के लिए प्रत्येक जिले में गो अभयारण की स्थापना की जाए। सड़कों पर गोवंश की संख्या में वृद्धि को देखते हुए प्रत्येक गोवंश का पंजीकरण (ईयर टैगिंग) अनिवार्य रूप से कराने का निर्देश दिया गया।

 



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