आदिवासी सिर्फ एक शब्द नहीं, यह एक संस्कृति है- राज्यपाल
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झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार रांची महिला महाविद्यालय में विश्व आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित समारोह में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, कि आदिवासी सिर्फ एक शब्द नहीं है, यह हमारी संस्कृति है। अगर हम अपनी संस्कृति और परंपरा को भूल जाएंगे, तो हम अपने समाज और देश को नुकसान पहुंचाएंगे। हमें अपनी संस्कृति को बचाए रखने की जरूरत है।
राज्यपाल ने की आदिवासी परंपरा की सराहना
वहीं आदिवासी परंपरा की सराहना करते हुए राज्यपाल संतोष गंगवार ने कहा, कि मुझे यहां पता चला कि आदिवासी समाज में लड़की की शादी में दहेज देने की परंपरा नहीं है। यह बहुत अच्छी प्रथा है और हमें यह समझना होगा कि ऐसी अच्छी चीजों को कैसे अपनाया जाए। वहीं इससे पहले रांची महिला महाविद्यालय में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय प्राचीन काल से ही भारतीय सभ्यता और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं।
राज्य में आदिवासी आबादी करीब 27 प्रतिशत- गंगवार
राज्यपाल ने अपने संबोधन में आगे कहा कि आदिवासी समुदाय की कला, संस्कृति, लोक साहित्य, परंपराएं और रीति-रिवाज विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हैं। राज्यपाल ने कहा कि राज्य की 3.28 करोड़ से अधिक आबादी में आदिवासी आबादी करीब 27 प्रतिशत है। इसके अलावा राज्य में 32 प्रकार की अनुसूचित जनजातियां हैं, जिनमें आठ प्रकार के विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह (पीवीटीजी) शामिल हैं।
सभी को शिक्षित होना चाहिए- संतोष गंगवार
राज्यपाल संतोष गंगवार ने इस मौके पर कहा, कि सरकारें अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। हमारे आदिवासी भाई-बहनों को ऐसी योजनाओं के बारे में जागरूक होने की जरूरत है, ताकि वे कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित हो सकें। राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी समुदाय शिक्षा के प्रति जागरूक हो रहे हैं। इस पर मैं कहना चाहूंगा कि उन्हें शिक्षा के प्रति और अधिक जागरूक होने की जरूरत है। किसी भी राष्ट्र की सामाजिक-आर्थिक प्रगति में ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कहा जाता है कि ‘ज्ञान ही शक्ति है’। इसलिए, सभी को शिक्षित होना चाहिए, चाहे वह लड़का हो या लड़की।