Kedarnath Even A Decade After The Disaster Early Warning System Could Not Be Established In Kedarnath Dham – Amar Ujala Hindi News Live

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विनय बहुगुणा, संवाद न्यूज एजेंसी, रुद्रप्रयाग
Published by: रेनू सकलानी

Updated Thu, 08 Aug 2024 10:06 AM IST

केदारनाथ धाम में डॉप्लर रेडार लगाने की घोषणा तो हुई, लेकिन निविदा से आगे नहीं बढ़ी।धाम में बारिश, बर्फबारी की सही जानकारी नहीं मिल पाती है। इसलिए  अर्ली वॉर्निंग सिस्टम स्थापित किए जाने का विचार किया गया था।


Kedarnath Even a decade after the disaster early warning system could not be established in Kedarnath Dham

केदारनाथ धाम
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

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विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले केदारनाथ में मौसम का सटीक पूर्वानुमान आज भी पहेली जैसा है। यहां कब बारिश व बर्फबारी हो जाए कुछ भी कहना मुश्किल है। जून 2013 की आपदा के बाद क्षेत्र में मौसम के सटीक पूर्वानुमान के लिए डॉप्लर रेडार लगाने के लिए शासन ने घोषणा तो की थी, लेकिन यह मामला निविदा से आगे नहीं बढ़ सका।

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अगर, धाम में अर्ली वाॅर्निंग सिस्टम होता तो बीते दिनों आई आपदा से पूर्व ही सुरक्षा उपाय किए जा सकते थे, इससे हजारों लोगों की जान खतरे में नहीं पड़ती। समुद्रतल से 11750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा संकरा घाटी क्षेत्र है। मेरु-सुमेरु पर्वत की तलहटी पर स्थित केदारनाथ मंदिर के दोनों तरफ मंदाकिनी व सरस्वती नदी बहती हैं।

बीच में एक टापू है जो हिमस्खलन जोन है। केदारनाथ से चार किमी पीछे चोराबाड़ी व कंपेनियन ग्लेशियर हैं, जिस कारण यहां पल-पल में मौमस बदलता रहता है। यहां कब मूसलाधार बारिश आ जाए, कुछ कहना मुश्किल है। जून 2013 की आपदा का कारण भी मूसलाधार बारिश थी। जिससे चोराबाड़ी ताल तक बादल फट गया था और मंदाकिनी नदी में सामान्य दिनों की अपेक्षा हजारों क्यूसेक पानी बढ़ गया था, जो तबाही का कारण बना।



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