जिला अस्पताल
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झारखंड के लातेहार जिले में आज भी बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण महुआटांड प्रखंड के बसेरिया गांव में देखने को मिला। बसेरिया के लोग बिना सड़क के अपने रोजमर्रा के काम को निपटाते हैं। हालांकि, गांव वालों के सामने विकट स्थिति तब उत्पन्न हो जाती है, जब कोई बीमार हो जाता है और उसे अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ जाती है। सड़क न होने कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं आ पाती। गांव वाले बीमार व्यक्ति को खाट पर लाद कर अस्पताल ले जाते हैं। इस दौरान समय से इलाज न मिलने के कारण मरीजों की मौत हो जाती है।
रास्ते में हुई मौत
ऐसा ही एक और मामला यहां सामने आया है। लातेहार जिले में सोमवार को परिजनों द्वारा 45 वर्षीय एक महिला को चारपाई पर अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि शांति कुज्जुर को चारपाई पर अस्पताल ले जाने के लिए इसलिए विवश होना पड़ा क्योंकि गांव की सड़क की हालत खस्ता हो रखी है। इसकी वजह से एंबुलेंस नहीं आ पा रही थी।
स्थानीय प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) अमरेन डांग ने घटना पर दुख जताते हुए कहा कि वह इस मामले में जानकारी जुटा रहे हैं। बीडीओ ने कहा कि प्राथमिकता के आधार पर सड़क निर्माण सहित ग्रामीणों की सभी बुनियादी समस्याओं का जल्द समाधान किया जाएगा।
बुखार से पीड़ित थी महिला
बताया जा रहा है कि आदिवासी महिला पिछले कुछ दिनों से बुखार और बदन दर्द से पीड़ित थी। सोमवार सुबह उसने सीने में दर्द की शिकायत की। उसके पति रेमिश मिंज और अन्य रिश्तेदार उसे चारपाई पर लादकर करीब चार किलोमीटर दूर अस्पताल ले गए। हालांकि, पास में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन कथित तौर पर वहां कोई आधारभूत सुविधाएं नहीं है।
महुआटांड अस्पताल के प्रभारी डॉ. अमित खालको ने बताया कि मरीज की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो चुकी थी। उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई।
दशकों से नहीं दिया कोई ध्यान
दुरूप पंचायत के पूर्व पंचायत समिति सदस्य धर्मेंद्र सिंह ने दावा किया कि क्षेत्र में एक उचित सड़क की ग्रामीणों की मांग पर प्रशासन ने दशकों तक कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि यदि मुख्य सड़क से जुड़ने वाली कोई उचित संपर्क सड़क होती तो शायद महिला आज जिंदा होती।