शिक्षक
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प्रदेश में इन दिनों शिक्षक जहां देहरादून और हरिद्वार समेत कुछ जिलों के सुगम विद्यालयों में तैनाती के लिए विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय तक के चक्कर लगा रहे हैं। वहीं, 3897 शिक्षक ऐसे हैं, जो सुगम में तबादलों के बजाए पहाड़ के दूरदराज के दुर्गम और अति दुर्गम विद्यालयों में ही अपनी सेवा देना चाहते हैं।
इन शिक्षकों ने विभाग को सुगम में तबादले के बजाए दुर्गम में ही बने रहने के लिए आवेदन दिया है। उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के तहत इन दिनों शिक्षा विभाग में शिक्षकों और कर्मचारियों के तबादलों की प्रक्रिया चल रही है।
इस प्रक्रिया के बीच शिक्षा निदेशालय और शासन में कुछ शिक्षकों को सुगम क्षेत्र के विद्यालयों में तबादलों के लिए विधायकों और मंत्रियों की सिफारिश लगाते देखा जा सकता है। जबकि तबादला एक्ट में स्पष्ट है कि कोई सरकारी सेवक तबादला आदेश के खिलाफ दबाव डलवाने का प्रयास करे तो उसके इस आचरण को सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली उल्लंघन मानते हुए उसके खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक नियमावली 2003 के अनुसार अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
गढ़वाल मंडल में सहायक अध्यापक एलटी के 1543 शिक्षक
इसके बावजूद विभाग में तबादलों के लिए सिफारिशी पत्र पहुंच रहे हैं। निदेशालय और शासन में सुबह से ही मंत्री या फिर उनके जनसंपर्क अधिकारी तबादलों के लिए अधिकारियों के आसपास दिखाई दे रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट के मुताबिक माध्यमिक शिक्षा में 3897 शिक्षकों ने दुर्गम और अति दुर्गम विद्यालयों में ही बने रहने के लिए विभाग में आवेदन किया है।
इन शिक्षकों ने स्पष्ट कहा है कि उन्हें सुगम क्षेत्र के विद्यालयों में तैनाती नहीं चाहिए। इसमें 1248 प्रवक्ता हैं। जबकि सहायक अध्यापक एलटी के गढ़वाल मंडल में 1543 और कुमाऊं मंडल में 1102 शिक्षक शामिल हैं। शिक्षा निदेशक के मुताबिक सुगम में तैनाती न चाहने वाले ये शिक्षक दुर्गम क्षेत्र के विद्यालयों में ही बने रहेंगे।