राजस्थान
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वर्ष 2017 में डॉ. आशुतोष झालानी ने माता बगलामुखी शक्तिपीठ की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी। डॉ. झालानी ने मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 51 किलो सोने से माता का मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर को बनाने में अब तक 40 लाख रुपये खर्च हुए हैं। उन्होंने बताया कि प्राचीन तंत्र शास्त्रों में दस महाविद्याओं काली, तारा, षोड़षी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला का उल्लेख मिलता है। इन सबकी साधना का अपना महत्व है। माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहा जाता है।
डॉ. झालानी ने बताया कि संपूर्ण सृष्टि में जो भी तरंगें हैं, वो माता बगलामुखी की वजह से हैं। यह भगवती पार्वती का उग्र स्वरूप हैं। ये स्वयं पीली आभा से युक्त हैं और इनकी पूजा में पीले रंग का विशेष प्रयोग होता है। इनको स्तम्भन शक्ति की देवी भी माना जाता है। उन्होंने बताया कि बगलामुखी में बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुल्हन। कुब्जिका तंत्र के अनुसार बगला नाम तीन अक्षरों से निर्मित है व, ग, ला। ‘व’ अक्षर वारुणी, ‘ग’ अक्षर सिद्धिदा तथा ‘ला’ अक्षर पृथ्वी को संबोधित करता है। माता के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है। डॉ. झालानी ने बताया कि अक्षय जीवन सिटी के माता बगलामुखी धाम में निःशुल्क हवन का आयोजन किया जाता है।