सांकेतिक तस्वीर
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संगरूर इलाके की महिलाओं के संघर्षमय, क्रांतिकारी और जोशीले जज्बे का कोई सानी नहीं है। विकट से विकट परिस्थितियों में भी कमजोरी को हथियार बनाकर महिलाएं अपने हक के लिए आवाज बुलंद करती रही हैं।
आजादी संग्राम में बलिदान से लेकर राजनीति में यहां की नारी शक्ति की भागीदारी अहम मुकाम पर रही है, लेकिन वर्तमान दौर में राजनीति में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के तमाम सियासी दलों के दावे संगरूर संसदीय सीट पर पूरी तरह से खोखले साबित हुए हैं। 57 वर्ष पहले संगरूर ने ही पंजाब की पहली महिला सांसद के रूप में निरलेप कौर को देश की चौथी लोकसभा में पहुंचाकर इतिहास रचा था। अब देश की 18वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है और संगरूर से किसी भी प्रमुख सियासी दल ने महिला चेहरे को मैदान में नहीं उतारा है। इस सीट पर महिला वोटरों की संख्या 47 फीसदी है। बावजूद इसके इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पिछले छह दशक से कोई महिला नेता नहीं कर सकी है। इस सीट पर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने पुरुष उम्मीदवारों को ही चुनाव मैदान में उतारा है।