मीलों लंबा बर्फीला ढलान। आसपास बर्फ से लकदक चोटियां। सनसनाती ठंडी हवाएं। नीले आसमान के बीच तैरते बादल.. यकीनन इसे पढ़कर आपके जहन में औली की तस्वीर उभर आई होगी, लेकिन वास्तव में यह नजारा भारत-तिब्बत सीमा पर बसे प्रथम गांव नीति के पास थाई टॉप का है। संसाधनों में औली बेशक इक्कीस हो, लेकिन प्रकृति के अनूठे सौंदर्य में थाई टॉप औली से कम नहीं।
पर्वतारोही और स्कीयर अभिषेक बड़वाल इसी प्रथम गांव नीति के निवासी हैं। वह हालही में अपने गांव के ठीक सामने बर्फ से लकदक थाई टॉप पर स्कीइंग करके लौटे हैं। वह चाहते हैं कि स्कीइंग के रोमांच का जो अनुभव उन्होंने लिया, वह प्रकृति, रोमांच और साहसिक क्रीड़ा के अन्य दीवाने भी लें। वह सरकार से मांग कर रहे हैं कि औली की तरह थाई टॉप को भी विकसित किया जाए, ताकि प्रथम गांव नीति में भी पर्यटन और साहसिक खेल की खिड़की खुले और यहां रोजगार बढ़ सके।
देहरादून में पढ़ाई करने वाले अभिषेक कहते हैं, मैंने औली और गुलमर्ग के ढलान भी देखे हैं। वहां स्कीइंग भी की है, लेकिन जो रोमांच, खुशी और सुख मुझे थाई टॉप में मिला वह अविस्मरणीय था।
वह दावे से कहते हैं, थाई टॉप का ढलान अंतरराष्ट्रीय स्तर का है। उनके रिकॉर्ड किए गए वीडियो में थाई टॉप की अद्भुत दृश्य हैं। करीब आठ से नौ किमी लंबा ढलान, जिस पर बर्फ की सफेद चादर फैली है। उसके चारों ओर पहाड़ हैं, जिनकी चोटियों से सफेद बर्फीली लटाएं निकलती हैं।
दूर से नजर आते गमसाली, बम्पा और मलारी गांवों के नजारे बेहद दिलकश हैं। अभिषेक कहते हैं, औली में बर्फ ज्यादा समय नहीं टिकती, जिससे राष्ट्रीय स्तर के स्कीइंग प्रतियोगिताएं टालनी पड़ती हैं, लेकिन थाई टॉप में पूरे अप्रैल और मई के पहले हफ्ते तक इतनी बर्फ रहती है कि वहां स्कीइंग की जा सकती है। यहां इनरलाइन परमिट भी नहीं चाहिए।
नीति घाटी में टिम्मरसैंण महादेव का मंदिर है। इस मंदिर के बाईं ओर के रास्ते पर करीब 400 से 500 मीटर का फासला तय करने के बाद थाई टॉप की ढलान के दीदार होते हैं। करीब आठ से नौ किमी की दूरी तय करने के बाद मीलों बर्फीला ढलान सामने आ जाता है।