Four Jharkhand Dms Fined Rs 10,000 Each For Submitting Incomplete Reports On Ganga Pollution Ngt Updates – Amar Ujala Hindi News Live

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Four Jharkhand DMs fined Rs 10,000 each for submitting incomplete reports on Ganga pollution NGT updates

सांकेतिक तस्वीर।

विस्तार


गंगा में प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एनजीटी) गंभीर है। इसी क्रम में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण को कम करने का मामला उठाते हुए कई राज्यों से इसे लेकर जानकारी मांगी थी। निर्देश के बावजूद गंगा में प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के संबंध में अधूरी रिपोर्ट सौंपने के लिए एनजीटी ने झारखंड के चार जिला अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। अभिकरण ने लापरवाह जिलाधिकारियों पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। वहीं, दूसरी ओर एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रिक्तियों पर भी सभी बोर्ड के सदस्य सचिवों से  जवाब मांगा है। 

एनजीटी ने गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण को कम करने के मामले में झारखंड, बिहार, प. बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से विशेष जानकारी मांगी थी। जिला मजिस्ट्रेट जिला गंगा संरक्षण समितियों के प्रमुख भी हैं। उनकी ओर से कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं करने पर पैनल ने फरवरी में झारखंड पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। एनजीटी चेयरमैन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 10 अप्रैल को पारित एक आदेश में कहा कि साहिबगंज, दुमका, रांची, राजमहल, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो और रामगढ़ जिलों से अनुपालन रिपोर्ट प्राप्त हुई थी। उन्होंने कहा कि साहिबगंज, धनबाद, बोकारो और रामगढ़ की रिपोर्टों में न्यायाधिकरण द्वारा आवश्यक और निर्देशित जानकारी नहीं थी। पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे। 

पीठ ने कहा, इन चार जिला मजिस्ट्रेटों ने ट्रिब्यूनल के पहले के आदेश का स्पष्ट रूप से अनुपालन नहीं किया है। उन्होंने अपनी अधूरी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। हम इन जिला मजिस्ट्रेटों को प्रत्येक को 10,000 रुपये का जुर्माना जमा करने के लिए चार सप्ताह का समय देते हैं। फिलहाल पीठ ने मामले को आगे की कार्यवाही के लिए 19 जुलाई तक के लिए पोस्ट कर दिया है।

एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रिक्तियों पर मांगा जवाब

साथ ही, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में रिक्तियों पर सभी बोर्ड के सदस्य सचिवों से हलफनामा दायर कर जवाब देने का निर्देश दिया है। एनजीटी के मुताबिक, देशभर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और प्रदूषण नियंत्रण समितियों (केंद्र शासित प्रदेशों) में लगभग 50 फीसदी पद खाली हैं। इतनी बड़ी संख्या में पदों के खाली रहने से ही पर्यावरण संबंधी कानून और नियमों को उचित तरीके से लागू नहीं किया जा पा रहा है। एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की क्षमता, बुनियादी ढांचे और संसाधनों से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहा था। मामले में अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी।

एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने ट्रिब्यूनल के पहले के आदेश के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से दाखिल एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह बहुत ही गंभीर स्थिति दिखाती है। पीठ में जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे।

एनजीटी ने पाया कि बिहार, झारखंड और केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव में प्रदूषण बोर्डों में सबसे अधिक पद खाली हैं। पीठ ने कहा कि राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में 1091 स्टाफ अनुबंध पर रखे गए हैं जिनमें से 146 तकनीक और 450 वैज्ञानिक पृष्ठभूमि के हैं। एनजीटी ने कहा कि अगर इस तरह के कर्मचारी अनुबंध पर लिए जा सकते हैं तो उनकी नियमित भर्ती क्यों नहीं की जा सकती है।



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