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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ध्रुवीकृत वैश्विक स्थिति के बीच जी-20 समूह की अखंडता बनाए रखने में भारत और चीन के संयुक्त प्रयासों पर शुक्रवार को जोर दिया। दरअसल, जयशंकर जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका की दो दिवसीय यात्रा पर जोहान्सबर्ग में हैं। उन्होंने जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान अपने संबोधन में कहा, ‘हमें यह समझना चाहिए कि ध्रुवीकृत वैश्विक स्थिति में दोनों देशों ने एक संस्था के रूप में जी-20 को संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए कड़ी मेहनत की है। यह अपने आप में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व को प्रमाणित करता है।’
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पहले जी20 के बारे में जानिए
दक्षिण अफ्रीका 2025 के लिए जी-20 की मेजबानी कर रहा है। इस बैठक से पूरे वर्ष के लिए निर्धारित कार्यक्रमों की श्रृंखला की शुरुआत होगी। अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के प्रमुख मंच के रूप में जी-20 वैश्विक अर्थव्यवस्था को उसके समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों से उबारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका, अफ्रीकी संघ और यूरोपीय संघ शामिल हैं।
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चीन ने क्या कहा?
चीनी विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, वांग ने कहा कि पिछले साल रूस के कजान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सफल बैठक के बाद दोनों देशों के बीच सभी स्तरों पर आदान-प्रदान व्यवस्थित तरीके से बहाल हो गया है। सीमा मुद्दों पर विशेष प्रतिनिधियों की बैठक में विशिष्ट मतभेदों को उचित तरीके से निपटाने पर आम सहमति बन गई है। वांग ने कहा कि यह दोनों देशों के लोग भी यही चाहते हैं कि वे आपसी विश्वास बहाल करें। अपने संबोधन में वांग ने पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच हुई बैठक को द्विपक्षीय संबंधों में पिछले वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण बात बताया। उन्होंने कहा, ‘यह संबंध सुधार की दिशा में और आगे की ओर अग्रसर है।’
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पिछले साल दिसंबर में मुलाकात हुई थी
वांग और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भारत-चीन सीमा तंत्र के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं। दोनों देशों के बीच पिछले साल दिसंबर में मुलाकात हुई थी और वे सीमा पर शांति बनाए रखने तथा भारत-चीन संबंधों को स्थिर बनाए रखने के लिए कदम उठाने पर सहमत हुए थे।
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जयशंकर ने क्या कहा?
जयशंकर ने कहा कि जी-20 जैसे मंचों ने भारत और चीन को अपने द्विपक्षीय संबंधों में चुनौतीपूर्ण दौर के दौरान भी बातचीत करने के अवसर प्रदान किए हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसी बैठकों ने हमारे बीच बातचीत का अवसर प्रदान किया, उस समय भी जब हमारे संबंध कठिन दौर से गुजर रहे थे।’ जयशंकर ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश सचिव चीन का दौरा कर चुके हैं। हमारे संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई है। इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के प्रबंधन के साथ-साथ हमारे संबंधों के अन्य आयाम भी शामिल हैं। मुझे आज विचारों के आदान-प्रदान पर खुशी है। उन्होंने यह जिक्र किया कि भारत और चीन जी-20, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और ब्रिक्स के सदस्य हैं।