शिमला के कृष्णानगर में भूस्खलन। फाइल फोटो।
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हिमाचल प्रदेश में 250 स्थान ऐसे हैं, जहां भूस्खलन की संभावना सबसे ज्यादा है। लोक निर्माण विभाग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। जिला मंडी और शिमला की सड़कों पर सबसे ज्यादा भूस्खलन होता है। लोक निर्माण विभाग ने ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में जेसीबी, पोकलेन और डोजर तैनात किए हैं, जिससे सड़क को यातायात के लिए तुरंत बहाल किया जा सके। हिमाचल में आधिकारिक तौर पर सेब सीजन शुरू हो गया है। ऐसे में सरकार ने सेब बहुल क्षेत्रों की सड़कों पर विशेष ध्यान देने को कहा है।
1300 कर्मचारी, 500 के करीब मशीनरी तैनात
हिमाचल में बीते साल प्राकृतिक आपदा के चलते लोक निर्माण विभाग को करोड़ों का नुकसान हुआ है। जगह-जगह सड़कों पर चट्टानें आ गईं। डंगे ढहने से कई दिनों तक यातायात प्रभावित रहा है। इसी तरह 33 के करीब पुल क्षतिग्रस्त हुए। इससे सबक लेते हुए लोक निर्माण विभाग ने बरसात के चलते सड़कें बहाल रखने के लिए 1300 कर्मचारी फील्ड में लगाए हैं। इसके अलावा 500 के करीब मशीनरी तैनात की गई है। लोक निर्माण विभाग के चारों जोन में कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं। इन सभी कंट्रोल रूम से लोक निर्माण विभाग के मुख्यालय से जानकारी साझा की जा रही है।
कोट
हिमाचल की सड़कों पर 250 के करीब ऐसे स्पॉट हैं, जहां भूस्खलन की संभावना अधिक है। इन स्थानों पर पहाड़ियां खिसकने या फिर सड़कों पर मलबा व पत्थर आने की संभावना अधिक है। इन स्थानों के दोनों किनारों पर एक-एक किलोमीटर की दूरी पर मशीनें तैतान की हैं- सुरेंद्र पॉल जगोता, चीफ इंजीनियर, लोक निर्माण विभाग